मोटापा क्या बला है?
वजन कैसे कम करें?
शरीर बेडौल होना (नाशपाती की तरह), पेट (तौंद) निकलना, कमर के चारों तरफ चर्बी बढ़ना, महिलाओं में नितंबों का फैलना इत्यादि मोटापे की ना छुपाई जा सकने वाली निशानियां हैं!
BMI (बॉडी मास इंडैक्स) क्या होता है ?
यह मोटापा नापने की मेडिकल टर्म है। वजन को लंबाई से भाग देने पर व्यक्ति की BMI निकल जाती है (वजन kg में एवं लंबाई मीटर स्क्वायर में होनी चाहिए)।
नाॅर्मल वजन वाले लोगों की BMI 18 से 25 के बीच निकलती है, 25 से 30 तक का मतलब है कि वजन ज्यादा है(ओवर-वेट), 30 के ऊपर है तो मोटापा (ओबेसिटी) और अगर 40 से भी ऊपर है तो इसका मतलब बहुत ज्यादा मोटापा (कभी-कभी ऐसे लोगों को मजाक में हाथी भी कहते है)।
जैसे 5फुट-8इंच (172.7cm) लंबे एवं 95 किलो के आदमी का BMI इस फार्मूले(95/(1.72)2) से 30.4kg/m2 निकलता है(मोबाइल/नैट पर हाईट और वेट टाइप कर इसे सैकड़ों मे निकाला जा सकता है)!
क्यों बढ़ता है मोटापा ?
भूख से ज्यादा खाना, शारीरिक श्रम न करना, आराम-तल्बी का जीवन (एक तरह से मॉडर्न लाइफ़स्टाइल या सुख-सुविधाओं के साधनों से परिपूर्ण जीवन जैसे स्कूटर, कार, नौकर-चाकर, नौकरानी, टीवी, मोबाईल, वाशिंग-मशीन इत्यादि) या जो लोग खाना खाकर पड़े रहते हैं उन्हें मोटापा आता है!
बचपन की खेलकूद फालतू चर्बी जमा नहीं होने देती, यह खर्च होती रहती है परंतु उम्र बढ़ने पर जो शारीरिक मेहनत नहीं करते, ज्यादा खाते हैं उनके शरीर पर एक्स्ट्रा चर्बी जमा होने लगती है।
वजन बढ़ने के अन्य क्या कारण हैं ?
मोटापे की फैमिली-हिस्ट्री, थायराइड की गड़बड़ी (हाइपो), कुछ दवाओं जैसे स्टीरोए्ड्स (वाईस्लोन इत्यादि), शुगर की गोलियां (ग्लिमीप्राईड इत्यादि), इन्सुलिन, डिप्रेशन (पैरोक्सिटीन, मिर्टज़ापीन)/मिर्गी (वैल्प्रोएट इत्यादि) की गोलियों से भी वजन बढ़ता है।
मोटापे से क्या खतरा है?
बीपी, शुगर, कॉलेस्ट्रोल, स्लीप एपनिया(OSA), घुटनों की आर्थराइटिस, कमर दर्द (डिस्क) आदि दिक्कतें पैदा करता है।
वजन कैसे कम करें ?
वजन एक बार अगर बढ़ जाए तो आसानी से कम नहीं होता। 1 महीने में 1 किलो कम करने का टारगेट रखें। ज़िम, ट्रेडमिल मशीन, स्टैन्डि्न्ग साईकल शुरू के जोश के लिए सब आजमाते हैं परंतु लॉन्ग टर्म में सबसे अच्छा है अपनी पूरी 24 घंटे की जीवनशैली को बदलना। बहुत तेजी से वजन कम करने (डेढ़ किलो से ज्यादा प्रति सप्ताह) से पित्त की थैली में पथरी भी हो सकती है।
क्या खान-पान(डाईट) रखें ?
खाना ऐसा हो कि पेट भी भर जाए (आमाशय की जगह भर जाए/भूख कंट्रोल में रहे) और कैलोरी भी कम जाए, जिससे निगेटिव बैलेन्स के कारण पहली से जमी एक्स्ट्रा चर्बी खर्च हो एवं वजन घटे।
इसके लिए प्रत्येक भोजन में हरे पत्तेदार, रेशे वाली, उब्ली सब्जियां, कच्चा सलाद, सूप अधिक मात्रा मे लें एवं रोटी, अनाज, चावल, आलू , शकरकंद कम से कम मात्रा मे लें।
सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद, एक कागजी नींबू डालकर धीरे-धीरे पियें (ध्यान रहे बिना शहद, नींबू-पानी से वजन बढ़ता है), हो सके तो केवल दोपहर में भोजन करें, दिन में न सोएं, सांयकाल केवल फल खाएं, प्रत्येक भोजन के बाद एक कप गर्म पानी पीयें, दो भोजन के बीच कुछ ना खाएं, भोजन नियमित समय पर ही खाएं।
चाय, कॉफी, मीठे पदार्थ, चीनी न लें, चावल के मांड का पानी पिएं। टीवी के आगे या बैड पर बैठ कर ना खाएं।
एक सिम्पल डाइट चार्ट दिया जा रहा है इसे फोलो करें :
सुबह:
जल्दी उठें--- एक गिलास गुनगुना पानी (शहद नींबू के साथ) --- टॉयलेट--- तीन-चार किलोमीटर तेज चलना/योगासन-व्यायाम
नाश्ता:
रसदार फल/मट्ठा (जीरे के चूर्ण के साथ)
दोपहर:
सूप + जौं/चौकर के आटे की एक/दो रोटी + हरे पत्ते की उब्ली सब्जियां + कच्चा सलाद ------
खाने के बाद एक कप गर्म पानी
शाम:
फलों का रस
रात:
जौं/चौकर के आटे की एक/दो रोटी + हरे पत्ते की उब्ली सब्ज़ियां एक कप गर्म पानी खाने के बाद, थोड़ा टहलना उसके बाद सोना
क्या एक्सरसाइज़ करें?
सबसे अच्छा है रोजाना सुबह तेज घूमना या दौड़ना, सीढ़ियां/जीना चढ़े (लिफ्ट नहीं), मोटी महिलाएं घर मे बैठकर पौचा लगाएं, वजन नापने की डिजिटल मशीन खरीदें एवं मोटिवेशन के लिए कैलेंडर पर नियमित चार्ट बनाएं। योगासन जैसे उत्तानपादासन, पश्चिमोत्तासन, नौली-क्रिया इत्यादि प्रभावशाली रहते हैं।
क्या वजन घटाने की कोई दवा है?
कुछ नई दवाएं जैसे ओर्लीस्टैट, फेन्टरमीन, टोपीरामेट आदि आंतों में फैट(वसा) का सोखना रोकती हैं एवं लोरसासरीन भूख को दबाती भी है परन्तु वजन कम करने की पुरानी दवाओं के कड़वे अनुभवों जैसे कैंसर इत्यादि सीरियस साइड इफेक्ट के कारण अभी व्यवहारिकता में प्रयोग नहीं होती।
क्या सर्जरी कराकर मोटापा कम करना चाहिए?
बहुत मोटे लोगों में (BMI 40 के ऊपर), आमाशय/आंतों को काटकर या रिंग लगाकर छोटा कर देते हैं जिससे कि जो खाया, वह पूरा एब्जोर्ब ही ना हो। परंतु विटामिन, मिनरल्स की कमी, उब्काई, उल्टी एवं ऑपरेशन से संबंधित साइड इफेक्ट्स का खतरा रहता है।
डॉ अनुभव सिंघल
एमडी-मेडिसिन (गोल्ड-मेडल) डीएम-कार्डियोलॉजी (एसजीपीजीआई, लखनऊ)
प्रस्तुतकर्ता कमल मित्तल वरिष्ठ पत्रकार