गंगोह में प्रवासी मजदूरों का दल को
गंगोह में पहुंचें प्रवासी मजदूरों को भोजन कराया
गंगोह- सैकड़ों किलोमीटर का पैदल सफर तय करके अपने घरों की ओर जा रहे मजदूरों को अन्नपूर्णा रसोई

के सेवादारों व मोहल्लें वासियों ने खाना खिलवाकर आगे के सफर के लिए विदा किया। उनके सफर की दूसवारियां यही खत्म नही हुई आगे भी 650 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घर जाना है।
षासन-प्रषासन के सभी दावों को झुटलातें हुए प्रवासी मजदूर सैंकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अपने गांव की ओर पलायन करने से रूक नही रहा है और ऐसा लग रहा है कि सरकार के पास अभी उनके लिए कोई स्थाई-अस्थाई योजना भी नही है। काम के सिलसिलें में प्रदेष के मजदूर वर्ग दूर-दराज के अन्य बड़े षहरों में रोजी-रोटी कमानें के लिए जाते है करोना महामारी में ऐसा लगता है कि उनके भविश्य पर ताला लगा दिया है। प्रदेष षासन लगातार प्रषासन को इन प्रवासी मजदूरों के लिए गाईड लाइन जारी करता रहा है लेकिन ऐसा जान पड़ता है आज भी जमीनी स्तर पर इन मजदूरों के लिए वापिस घरों को भेजने के लिए कोई सुदृढ़ योजना नही है।
पजांब के लुधियान षहर से ऐसा ही एक प्रवासी मजदूरों का दल लगभग 250 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर गंगोह नगर पहुंचा उन्होने बताया कि वह जिला गौरखपुर व फहतेपुर के रहने वाले है। मजदूरों में राजेष, विनोद, तौफिक, मनीश, विकास, सोनू, सुनील, ज्ञानचंद, सोनू, सुनील ने बताया कि वह लोग चिनाई मजदूरों का काम करते है। महामारी के चलते वहां काम नही होने के कारण हम किरायें पर जहंा रह रहे थे वहां के मालिकों ने किराया न चुकानें पर वहां से निकाल दिया किसी ने हमारी मदद नही तो पैदल ही हम अपने घर की तरफ चल पड़े। उनकी कहानी दिल को झगझोड़ने वाली है उन्होने यह भी बताया कि रास्तें में पुलिस की फटकार व मार झेलते हुए जंगल, नालों व यमुना को पार कर वह यहां तक पहुंचें है। सुजें पैरों को देखकर आगे सफर के लिए जब उनसे पूछा गया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। ऐसे में को अन्नपूर्णा रसोई के सेवादार नवीन, हर्शद बजाज, सुरेष अरोड़ा, नितिन की उन पर निगाह पड़ी तो उन्होने रसोई के माध्यम से उन्हे भोजन कराया व कुछ मोहल्लें वासियों अषंुल, विकास, अंकुष, युवराज, विषाल ने उनकी दवाई व अन्य जरूरी समान उपलब्ध कराया।
गंगोह- सैकड़ों किलोमीटर का पैदल सफर तय करके अपने घरों की ओर जा रहे मजदूरों को अन्नपूर्णा रसोई
षासन-प्रषासन के सभी दावों को झुटलातें हुए प्रवासी मजदूर सैंकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अपने गांव की ओर पलायन करने से रूक नही रहा है और ऐसा लग रहा है कि सरकार के पास अभी उनके लिए कोई स्थाई-अस्थाई योजना भी नही है। काम के सिलसिलें में प्रदेष के मजदूर वर्ग दूर-दराज के अन्य बड़े षहरों में रोजी-रोटी कमानें के लिए जाते है करोना महामारी में ऐसा लगता है कि उनके भविश्य पर ताला लगा दिया है। प्रदेष षासन लगातार प्रषासन को इन प्रवासी मजदूरों के लिए गाईड लाइन जारी करता रहा है लेकिन ऐसा जान पड़ता है आज भी जमीनी स्तर पर इन मजदूरों के लिए वापिस घरों को भेजने के लिए कोई सुदृढ़ योजना नही है।
पजांब के लुधियान षहर से ऐसा ही एक प्रवासी मजदूरों का दल लगभग 250 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर गंगोह नगर पहुंचा उन्होने बताया कि वह जिला गौरखपुर व फहतेपुर के रहने वाले है। मजदूरों में राजेष, विनोद, तौफिक, मनीश, विकास, सोनू, सुनील, ज्ञानचंद, सोनू, सुनील ने बताया कि वह लोग चिनाई मजदूरों का काम करते है। महामारी के चलते वहां काम नही होने के कारण हम किरायें पर जहंा रह रहे थे वहां के मालिकों ने किराया न चुकानें पर वहां से निकाल दिया किसी ने हमारी मदद नही तो पैदल ही हम अपने घर की तरफ चल पड़े। उनकी कहानी दिल को झगझोड़ने वाली है उन्होने यह भी बताया कि रास्तें में पुलिस की फटकार व मार झेलते हुए जंगल, नालों व यमुना को पार कर वह यहां तक पहुंचें है। सुजें पैरों को देखकर आगे सफर के लिए जब उनसे पूछा गया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। ऐसे में को अन्नपूर्णा रसोई के सेवादार नवीन, हर्शद बजाज, सुरेष अरोड़ा, नितिन की उन पर निगाह पड़ी तो उन्होने रसोई के माध्यम से उन्हे भोजन कराया व कुछ मोहल्लें वासियों अषंुल, विकास, अंकुष, युवराज, विषाल ने उनकी दवाई व अन्य जरूरी समान उपलब्ध कराया।